Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2023 · 1 min read

*सूने घर में बूढ़े-बुढ़िया, खिसियाकर रह जाते हैं (हिंदी गजल/

सूने घर में बूढ़े-बुढ़िया, खिसियाकर रह जाते हैं (हिंदी गजल/गीतिका)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
(1)
सूने घर में बूढ़े-बुढ़िया, खिसियाकर रह जाते हैं
पढ़े-लिखे सबके बेटे अब, परदेसी कहलाते हैं
(2)
कभी चमक आती चेहरे पर, क्षण भर में मुरझाते हैं
काबिल हैं बेटे यह बातें, जब सबको बतलाते हैं
(3)
थका हुआ तन चाह रहा है, एक सहारा लाठी का
लेकिन सबके सौभाग्य कहाँ, यह हिस्से में आते हैं
(4)
गली-मौहल्ले के जर्जर, घर हैं इतिहास समेटे
आशा के दीपक दो बूढ़े, उनमें रोज जलाते हैं
(5)
एक अकेला हंस रह गया, अब भारी दुश्वारी है
तीजा-दसवाँ हुआ रजिस्ट्री, अब घर की करवाते हैं
(6)
समझौते करने पड़ते हैं, अंतिम दशक बिताने में
जैसे हों सामान स्वयं को, ऐसे शिफ्ट कराते हैं
———————————————–
तीजा-दसवॉं = मरणोपरांत होने वाली शोक सभाएं- संस्कार आदि
———————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451

451 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
जरूरत दोस्त की,समय पर होती है ।
जरूरत दोस्त की,समय पर होती है ।
Rajesh vyas
"जियो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
Ranjeet kumar patre
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
मौन सभी
मौन सभी
sushil sarna
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
Rj Anand Prajapati
याद हम बनके तेरे दिल में महक जाएंगे,
याद हम बनके तेरे दिल में महक जाएंगे,
Dr fauzia Naseem shad
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
शेखर सिंह
23/217. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/217. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#खुलीबात
#खुलीबात
DrLakshman Jha Parimal
सुहागन की अभिलाषा🙏
सुहागन की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
Shweta Soni
लघुकथा कहानी
लघुकथा कहानी
Harminder Kaur
खत पढ़कर तू अपने वतन का
खत पढ़कर तू अपने वतन का
gurudeenverma198
उपहास ~लघु कथा
उपहास ~लघु कथा
Niharika Verma
A daughter's reply
A daughter's reply
Bidyadhar Mantry
* जिसने किए प्रयास *
* जिसने किए प्रयास *
surenderpal vaidya
सुनो पहाड़ की...!!! (भाग - ९)
सुनो पहाड़ की...!!! (भाग - ९)
Kanchan Khanna
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
गुमनाम 'बाबा'
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
हिमांशु Kulshrestha
जो थक बैठते नहीं है राहों में
जो थक बैठते नहीं है राहों में
REVATI RAMAN PANDEY
कुंडलिया छंद की विकास यात्रा
कुंडलिया छंद की विकास यात्रा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कड़वा सच
कड़वा सच
Jogendar singh
जो प्राप्त न हो
जो प्राप्त न हो
Sonam Puneet Dubey
निबंध
निबंध
Dhirendra Singh
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
Loading...