सूनी बगिया हुई विरान ?
सूनी बगिया
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नव किसलय का आनन
सुगंधित नव पुष्प आलय
बगिया है पुरखों की याद
सींचा कलियाँ विकसित
खिल सरस सुगंध बिखराने
पंखुड़ियां खुली समय पर
विकसित पुष्प मधुर मधु
भ्रमर ले भ्रमण कर जग में
प्रेम सद्भाव बरसाने वाली
बिन माली सूनी है वगिया
मुरझा गया आदार सत्कार
फुलवारी पूल इत्र सी निज
खुशबु पहचान भू बनाया
गीता ज्ञान कर्म की पूजा
आदर्श वाक्य सूनी बगिया
गूंज महशूस पास गुजर रहे
पथिक स्मृतियों की यादों में
भाव भ्रमित नमन करते हैं
माली मालिन मालकियत
छोड़ कालगति समा गए
बसा नहीं सुमन इस कुंज
गली बदल कहीं और बसे
सूनी कुंज विकसित डाली
सूख जलहीन मुरझा गए
नव यौवन की कलियाँ
वृथा गुमान गर्व दम्भ से
फूलता फूल झरझरा गए
बगिया सूनी विरान पड़ी।
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण