सूनापन
गए इस घर से तुम,
एक कमरे को सूना करके,
वो कमरा ही नहीं,
मेरा दिल भी सूना है।
तुम्हे अहसास हो न हो,
वो कमरा नहीं था,
वो तो मेरे दिल का,
एक कोना है।
सजाया संवारा बहुत,
शिद्दत से तुमने,
किसे मालूम था वो,
हो जायेगा वीराना।
तेरी हंसी से चहचाहते थे,
जो दर और दरख़्त,
हो जायेंगे वो अब,
एक खामोश तराना।
जँहा भी रहो तुम,
अपने इस दिल में,
थोड़ी सी जगह,
हमें भी देना।
मै कोई ख़ास तो नहीं,
दुनिया में तेरी,
पर थोड़ा ही सही अपना,
कोई रिश्ता तो है ना।