दर्द आँखों में आँसू बनने की बजाय
आप सिर्फ सफलता का मानसिकता रखे बस आप खुद को सफल चित्र में दे
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
***दिल बहलाने लाया हूँ***
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
चिंतित अथवा निराश होने से संसार में कोई भी आपत्ति आज तक दूर
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
* अंदरूनी शक्ति ही सब कुछ *
सन्देश खाली
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
रामू
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं ।
नंगापन (कुण्डलियां छंद-) Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
शलभ से
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,