सुहानी सी एक शाम
वो छुप छुप कर यूँ हमारा मिलना।
और वो हमारा संग संग चलना।।
कभी हँसना तो कभी मुस्कुराना।
यूँ हाथों में एक दुजे हाथ लिए।।
कभी डर तो कभी खुशी से भरी।
साथ में बिताई हमारी सुहानी सी एक शाम।।।।
वो छुप छुप कर यूँ हमारा मिलना।
और वो हमारा संग संग चलना।।
कभी हँसना तो कभी मुस्कुराना।
यूँ हाथों में एक दुजे हाथ लिए।।
कभी डर तो कभी खुशी से भरी।
साथ में बिताई हमारी सुहानी सी एक शाम।।।।