सुस्वागतम्
स्वागत आगत का करैं , भूलें विगत क्लेश
वर्ष बीसवां दे गया , समूचे जग को ठेस
समूचे जग को ठेस , विपदा आई जो भारी
साहस से लड़ रही , जिससे दुनिया सारी
कह अशोक कविराय नव वर्ष सभी को भावत
भूलें विगत विषाद , करैं आगत का स्वागत।
अशोक सोनी
भिलाई ।