सुरभित – मुखरित पर्यावरण
करता प्रभावित जीवंत, जग-जीवन
रचना प्राकृतिक, अनुपम महान
जैविक , अजैविक तत्व , तथ्य
घटना , प्रक्रिया समुच्चय विज्ञान।
आकर्षक सुसज्जित “आवरण”
सुरभित -मुखरित पर्यावरण।।
संगीत मधुर सुनाती पवन
नदियाँ , पर्वत , चट्टानें –
जलवायु दशा को व्यक्त करती
सम – विषम सी तपन ।
करती परिभाषित “वातावरण”
सुरभित -मुखरित पर्यावरण।।
कल -कल करते झरने, नदियाँ
पर्वत छाती तान खड़ा
कल पुर्जों का युग अभ्युदय!
बनता अभिशाप सा विषय।
मानव भी कर रहा अभिवादन!
सुरभित -मुखरित पर्यावरण।।
पर्यावरण में होता परिवर्तन
शिक्षा, ज्ञान का ही माध्यम
विकास बहुमुखी मानव-जीवन
शिक्षा ही एक प्रबल साधन।
प्रभावित न हो परिवेश अकारण ।
सुरभित-मुखरित पर्यावरण ।।
✍संजय कुमार “सन्जू”
शिमला हिमाचल प्रदेश