सुरक्षा
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“बहन जी, यदि आपको मेरी सब्जियाँ छाँटकर ही लेनी है, तो प्लीज़ आप अपने हाथ सेनिटाइज कर लीजिए। ये लीजिए सेनिटाइजर है।” सब्जीवाले ने विनम्रतापूर्वक कहा।
“क्या बक रहा है तू ? तेरा दिमाग खराब हो गया है। जानता है मैं कौन हूँ ?” महिला उत्तेजित स्वर में बोली।
“बहन जी, मैं तो आपको जानता हूँ, परंतु कोरोना वायरस के लिए सब बराबर हैं। मैं आपके लिए अपने अन्य अनगिनत ग्राहकों की जान खतरे में नहीं डाल सकता।” सब्जीवाले की बात सुनकर महिला गुस्से से लाल-पीला हो पैर पटकते हुए वहाँ से चली गई।
ऊधर खड़े अन्य ग्राहकों की दृष्टि में सब्जीवाले के प्रति सम्मान की भावना बढ़ गई थी।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़