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6 May 2017 · 1 min read

सुबह की ताज़गी जैसी…..

सुबहा की ताज़गी जैसी
ये संदल याद है तेरी
चाँदनी रात सी प्यारी
सी शीतल याद है तेरी

ये जो आती है जाती है
मेरे भीतर से रह रह कर
ना समझ साँस मेरी है
दर असल याद है तेरी

अधूरे ख्वाब और सपने
अधूरी ख्वाहिशें तौबा
नहीं है कुछ भी दुनियाँ में
मुकम्मल याद है तेरी

नींद सुकुं चैनो करार
लाखों सवालात हैं
उलझनें कितनी हैं युँ तो
मगर हल याद है तेरी

करेंगी क्या हमें तन्हा
ये तन्हाईया तेरे बिन
साथ साया भले ना हो
हर इक पल याद है तेरी

1 Like · 423 Views
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