सुबह की एक किरण
सुबह की एक किरण,
भोर का संदेशा लाई !
रात काली थी मगर ,
देखो अजब सवेरा लाई !
चिड़िया का पहचाना ,
कोयल- राग सुनाना !
कल-कल करती नदियां ,
फूलों का खिल जाना !
नई उमंग नया सवेरा ,
नई – नई तरंग लाई !
नई ऊर्जा , नया है जुनून
मन में नया उत्साह लाई !
कहीं जेहन में दबे हुए
नए-नए वो स्वप्न आई !
सुबह की एक किरण,
भोर का संदेशा लाई !
✍कवि दीपक सरल