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6 Dec 2024 · 1 min read

*सुप्रभात*

#मुक्तक-
सहर का पैग़ाम
[प्रणय प्रभात]
ज़ीस्त के जिस्म पे रिदा रखना।
रूह के जिस्म पे क़बा रखना।।
अब भी इंसान की निशानी है,
अपनी मासूमियत बचा रखना।।
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
#शब्दार्थ-
सहर-सुबह, पैग़ाम-सन्देश, ज़ीस्त-जीवन, रिदा-चादर, रूह-आत्मा, क़बा-कपड़ा।

1 Like · 16 Views

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