” सुन सको तो सुनों “
सुन सको तो सुनों दिल ये मेरा क्या कहता है….!
बनकर धड़कन देखों तुझमें ही तो रहता है….!
फुरसत से कभी इन हवाओं के झोकों से पूछ लेना,
बस एक तुम्हारा ही तो नाम मेरे मन में भरता है….!
रोजाना करता है बातें तुम्हारी न जाने फिर क्यों
ये दिल मेरा, सामने तुम्हारे आने से डरता है….!
अब कहाँ से लाए हम तुम्हारी तारीफ़ में कोई शब्द
तुमकों देखकर तो खुद आईना भी सँवरता है….!
ये सावन की बूंदें सुनों उनसें जाकर ये कहना
इश्क़ उनका आज भी आँखों से आँसू बनकर बहता है….!
लेखिका- आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना