सुन ले
जितने भी चालाक लोग है सुन ले,
अब मैं तुम्हें सजा देना चाहता हूँ,
अब यहां पर बेवजह कुछ भी नही,
हर सजा की वजह देना चाहता हूँ,
तुम्हारे गुण से गुनाह कुछ ज़्यदा है,
अब तुम्हारी सजा गुणा करना चाहता हूँ,
अब यहां शरीफ कोई भी नहीं पासिंदों,
अब हर शरीफ की तहज़ीब धोना चाहता हूँ,
याद दिलाकर कर हर मंज़र घुटन का,
मैं तनहा ही तुम्हारी घुटन बढ़ाना चाहता हूँ,
अब तुम्हारे बचने का भी कोई रस्ता नहीं,
हर रस्ते पर तुम्हे याद दिलाना चाहता हूँ,
तनहा शायर हूँ