सुन मेरे बच्चे !…………
सुनो तुम!……..
अब तुम जाओ हमें छोड़कर
विस्तारी दायरे तलाशने को
आयाम के छौर टटोलने को
अपना पहचान पत्र खुद तराशने को
सुनो तुम !………..
उड़ान ऐसी लेना कि
पा सको अपने हिस्से का आसमां
स्पर्धा समीर बहुत तेज बहती हैं
थामे रखना उमंग उछाह की कमान
सुनो तुम !……..
जाओ भले तुम दूर सुदूर
जीवन लुत्फ लो भरपूर
याद रखना विरक्ति वश
हो न जाओ दूर अतिदूर
एकांतवास बहुत डराता है
वक्त से पहले वृद्ध बनाता है
संगीता बैनीवाल