*सुनो माँ*
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तुझे ढूंढूं कहां कहां माँ।
इतना बड़ा…..जहां माँ।
तेरे बारे किस से मैं पूछूं,
तू ख़ुदा-ए- दो-जहाँ माँ।
मैं तारों में.. तुझको खोजूं।
आईने में खुद को निहारूं।
मेरे मुखड़े में , तेरे नक्श हैं,
तेरी शक्ल का मैं निशां माँ।
मेरे मन में तेरी धडक है।
इस तन में तेरी तड़प है।
तेरी ममता की शोहरत,
भला कैसे करूं बयां माँ।
तस्वीर से बाहर आजा।
तू आ के मुझे रिझा जा।
मेरी हस्ती तुझसे क़ायम,
मेरी तू ही…राज़-दाँ माँ।
इस घर में हर खुशी माँ।
एक तेरी ही….कमी माँ।
हंसते..हंसते.. रो देता हूं,
मुझे घेरे दर्द-ए-कारवां माँ।
हर जन्म में..तू मेरी माँ हो।
तेरा रब्ब से ऊंचा मकां हो।
बस यही.. एक इल्तिज़ा है,
मेरी विनम्र विनय सुनो माँ।
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सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।