सुनी चेतना की नहीं,
सुनी चेतना की नहीं,
जिसने कभी पुकार।
उसके द्वारे ही सदा,
खटकता है विकार।।
मानस होता है बड़ा,
चिंतनशील, अशांत।
उलझा हुआ विचार में,
व्यथित,थकित,उद्भ्रात।।
मन सदा यह दौड़ता,
करता ना विश्राम।
रमें काम ना राम में,
सदा काम ही काम।।