सुना बसंत
शबनमी कलीयों को देख
शांत मन तरंगीत हो गया,
डर था सूरज की लालीमा,
तिखी न हो….
मै भौरा ठीठुर कर
आश लगाए बैठा था,
कहीं मन हद से न गुजर जाये..
यारों सलामत की राहों
पर चलना ईतना असान नहीं,
अब तो बसंत भी
सुना सुना लग रहा
इसमें जान नहीं,
सदियों से देखा है
तड़पते इसे अनजान नहीं
समझ समझकर भी
नहीं समझा ईमान नहीं
जिस बात का डर
अब बस वही कर
#किसानपुत्री_शोभा_यादव