सुनहरी शाम
ये सुनहरी शाम और ये जाती हुयी सूरज की धूप,
कितना खूबसूरत लगता है प्रकृति का ये अनमोल रूप।
ये हवा की हसीन अदायें,
कितनी जचती है ये वादियों पे फिजायें।
ये कुदरत का नजारा मन मोह लेता है
राह चलते मुसाफिर के कदम,
निहारने के लिए रोक लेता है।
ये सूरज भी ना कितना इंतजार करवाता है,
मगर जब अपने घर वापस जाता है।
इस सुनहरी शाम की सौगात देकर जाता है,
ये पहर सबके मन को बहुत भाता है।
इस सुनहरी शाम के नजारे को कैद करने,
कोई छत पर, कोई नदी तट पर,
कोई पर्वत पर, कोई उद्यान में जाता है,
ये मनमोहक नजारा मन को असीम सुख दिलाता है।