सुधार
समय के साथ
सुधार की गुँजाइसो को
महत्व देना चाहिये
पर सबसे पहले
खुद में सुधार होना चाहिये
हर बार आपकी गलती को
बताया नही जायेगा
गलती को अपनी
खुद आपको सुधारना है
बार बार आपकी गलतियों को
ना ही बताया जायेगा
और ना ही सुधारा जायेगा
सुधार की गुँजाइसे तभी होंगी
जब अपनों से
संवाद की कोशिशे होंगी
जब तक आपकी
अपने से नही बनेगी
तो फिर बात
औरो के साथ कैसे बनेगी
औरो में दोष निकलना
बहुत आसान काम है
पर खुद की कमियों को ढूंढ पाना
बहुत मुश्किल काम है
बातो पे अपनी
ये “धनराज” खुद अमल करता है
तभी तो आप लोगों
और समाज के लिए लिखता है
लेखक धनराज खत्री
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