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8 Nov 2020 · 1 min read

सुग्रीव द्वारा राम वंदना

सुग्रीव द्वारा राम की वंदना
8 सगण
जय राम रमा,जय नाथ क्षमा,
जय हो प्रभुजी जय हो जय हो
जब आप सहाय हुए जिसको
उसको जग में न कहीं भय हो।

मतिमंद महा अति मूढ़ बना
महिमा नहिं मैं पहचान सका।
अवचेतन को कर दो छन में,
तुम चेतन ये नहिं जान सका।
अब जीवन सौंप रहा तुमको,
हर साँस सदा चरणों लय हो।
जय राम रमा जय नाथ क्षमा,
जयहो प्रभुजी जय हो जय हो।

भव भंजन दीनदयाल प्रभो,
कर धन्य दिया प्रण पाल प्रभो।
सब संशय का अब नाश हुआ।
दुख दूर हुए मधुमास हुआ ।
जन की हर पीर हरा करते,
करुणा करके करुणालय हो ।
जय राम रमा जय नाथ क्षमा
जय हो प्रभुजी जय हो जय हो

नत हो रत हो पग शीश धरा,
यह बालि नहीँ यह काल मरा।
अवलंब करूँ न रमेश जरा,
सिय की सुधि लाउँ तुरंत करा।
पगड़ी सम आप कृपा लगता,
सिर पै गर खास हिमालय हो।
जय राम रमा जय नाथ क्षमा,
जय हो प्रभुजी जयहो जयहो।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
8/11/2020

Language: Hindi
457 Views
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