सुख दुख जीवन का संगम हैं
भावों में भाव धधकती हो,अधरों पर मुस्कान चमकती हो।
उस प्रेम भाव का क्या कहना,जिसमें रसधार न बहती हो ।।
सनम जुस्तजू हो गई हैं, फिर मेरे दिल की तन्हाई से।।
मिलने की घड़ी आई ही नहीं,वैरी हो गये जमाने के।।
औरों को दोष हैं देना क्या, अपने अंदर भी झांको तुम ।
इतनी हिम्मत कैसे आई, बेखौफ जो होते पहले तुम।।
पलभर में धैर्य छोड देना, ऐसे जीवन को क्या जीना।
सुख दुख जीवन का संगम हैं, संघर्ष समुंदर को पीना ।।