“सुख के मानक”
“सुख के मानक”
दादाजी बतलाए थे एक बार
सुख के मानक सिद्धान्त,
निरोगी, उऋणी, स्वदेश में वास
जो ना रहे भयाक्रान्त,
सुखी दाम्पत्य और आज्ञाकारी पुत्र
रहते स्वावलम्बन से चित्त शान्त।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“सुख के मानक”
दादाजी बतलाए थे एक बार
सुख के मानक सिद्धान्त,
निरोगी, उऋणी, स्वदेश में वास
जो ना रहे भयाक्रान्त,
सुखी दाम्पत्य और आज्ञाकारी पुत्र
रहते स्वावलम्बन से चित्त शान्त।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति