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6 May 2021 · 1 min read

सुख की अनुभूति।

सुख की अनुभूति इन्सान को कमजोर बनाती है।
दुख की अनुभूति इन्सान को मजबूत बनाती है।
छाया बिश्राम को सुख मय बनाती है।
धूप इन्सान को,प्रकाश से आलोकित बनाती है।
हम केवल सुख की खातिर दर दर भटकते रहते हैं।
सुख की चाहत में , करोड़ों दुख सहने पड़ते हैं।
पर ! इन्सान कभी सुख भोग से कभी पीछे नहीं हटता है।
दुख इनसान के जीवन में गुरु बन कर आता है।
और जीवन को सबक दे कर जाता है।
समझदार को इशारा काफी होता है।
और मूर्ख को इतिहास भी कम होता है।

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 337 Views
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