सुखद सबेरा
सुखद सबेरा हो जीवन मे
ज्ञान प्रकाश विस्तार गगन मे
वासित हो परिवेश हमारा
मलयज सुगंध हो पवन मे
कटे अंधेरा ऩभ का सारा
चमक आ रही आज चमन मे
देख मुदित हो रहा है मानव
उठती उमंग सब जन मे मन मे
उत्साह युक्त हो रहे है हम सब
नव संकल्प लिये है मन मे
आया नव जीवन है विहान का
चमक आ रही है कन कन मे।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र