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22 Nov 2019 · 1 min read

सुकोमल पुष्प

धूप, ठंड, बरसात सभी दुःख
खुशी में सहते रहते,
ये अत्यंत सुकोमल
तनधारी मुस्काते रहते।
सजते अनेक रंगों में खुद
हमें सजाते रहते,
नभ तारे जैसे झिलमिल
ये जगमगाते रहते।
हवा मारती चाटा इनको
तूफा देते इन्हें उजाड़,
कष्ट सहे विचलित ना होते
हो प्रसन्न करते दीदार।
सेवा करो भाव यह लेकर
इर्ष्या द्वेष को त्याग,
‘रंजन’ ऐसे सेवक के
बनते भूषित भाग।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 258 Views
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