सुकून
अंधेरे में दिया जला दो,
वहाॅं उजाला खिल जाएगा।
किसी रोते लब को हॅंसा दो,
सुकून तुमको मिल जाएगा।
मौन रहकर आवाज दो तुम,
कि हर लब सुर गुनगुनाएगा।
गिरते हुए को गर थाम लो,
जीवन फिर से मिल जाएगा।
किसी रोते लब को हॅंसा दो,
सुकून तुमको मिल जाएगा।
क्या मिलेगा उनको जाने,
खुराफातों से जिंदगी में।
माफ करो आगे बढ़ जाओ,
दिल से बोझ उतर जाएगा।
किसी रोते लब को हॅंसा दो,
सुकून तुमको मिल जाएगा।
वक्त का कसूर या नसीब,
जिंदगी का अजीब दौर है।
रहा न अच्छा ना बुरा सदा,
यह दौर भी गुजर जाएगा।
किसी रोते लब को हॅंसा दो,
सुकून तुमको मिल जाएगा।
अपने मुल्क के दीवाने हैं,
बन्दगी यह नेक बंदों की।
खुदा गर दुआ कर ले कबूल,
यह जीवन संवर जाएगा।
किसी रोते लब को हॅंसा दो,
सुकून तुमको मिल जाएगा।
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर (राजस्थान)