सुई नोक भुइ देहुँ ना, को पँचगाँव कहाय,
सुई नोक भुइ देहुँ ना, को पँचगाँव कहाय,
दुर्योधन कौ का मिल्यो, दीन्हो बँस नसाय।
अभिलासा कौ जग अनत, फिरि फिरि बैर बढ़ाय,
हरत विवेकहिंं मोह, मद, “आशादास” बताय।।
डा0 आशाकुमार रस्तोगी “आशादास”।
सुई नोक भुइ देहुँ ना, को पँचगाँव कहाय,
दुर्योधन कौ का मिल्यो, दीन्हो बँस नसाय।
अभिलासा कौ जग अनत, फिरि फिरि बैर बढ़ाय,
हरत विवेकहिंं मोह, मद, “आशादास” बताय।।
डा0 आशाकुमार रस्तोगी “आशादास”।