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27 Feb 2019 · 1 min read

सुंदर पावन धरा भारती

आज की कविता
विषय,,,

सुंदर पावन धरा भारती

सूर्य की रश्मियां प्रफुलित हुई
भोर चन्द्र जाने को लज्जित हुई
मस्त धरा पर जैसे सँवारती
सुंदर पावन धरा भारती ।

श्री लंका चरण पखारे नदियाँ
लगती कितनी सुंदर फैली वादियां
दोनों बाहे फैलाकर इनको उठाती
सुदंर पावन धरा भारती ।

मुकुट मोर हिमालय पहने खड़ा ,
आंतकियो की बना दीवार खड़ा
सुरक्षा की ढाल से हमें उबारती
सुंदर पावन धरा भारती ।

हिम शिखर पर लहराएगा
तिरंगा,,
श्वेत अशोक चक्र आभा लिए
चन्दा
सुंदर हिम श्वेत मोती धरा पर
बिखेरती
सुंदर पावन धरा भारती।

बोली जाती अनगिनत भाषाएं,
नृत्य करती विभिन्न सागर धाराएं
स्वर्ग को वसुंधरा पर उतारती
सुंदर पावन धरा भारती ।

महकती सर्द ये पावन हवाएं
लगती ये तो ऐसी उड़ती अप्सराएं
छूकर यह करती है ये आरती
सुंदर पावन धरा भारती।

ये तब रोती जब तरु कटते है
इंसा ,मानवता से पीछे हटते है।
भारत माता करुणा से पुकारती
सुंदर पावन धरा भारती ।

✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित मौलिक रचना
मोबाइल नंबर 9165996865

Language: Hindi
1 Like · 326 Views
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