सुंदर पंक्ति
झाँक रहे हैं इधर-उधर सब,
अपने अंदर झांकें कौन ?
ढूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां,
अपने मन में ताके कौन ?
सबके भीतर दर्द छुपा है,
उसको अब ललकारे कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते,
ख़ुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा,
यह सीधी बात गले उतारे कौन ?