*सीधे-सादे चलिए साहिब (हिंदी गजल)*
सीधे-सादे चलिए साहिब (हिंदी गजल)
———————————
1
सीधे-सादे चलिए साहिब
ज्यादा नहीं उछलिए साहिब
2
कुर्सी चार दिनों की होती
फिर संध्या-से ढलिए साहिब
3
चालाकी में क्या रक्खा है
भोलों को मत छलिए साहिब
4
थोड़ा-सा ही समय बचा है
अब तो जरा सॅंभलिए साहिब
5
फँसे रहे जो दुनिया ही में
कल हाथों को मलिए साहिब
6
कोहिनूर क्या जिसके आगे
उसके लिए मचलिए साहिब
———————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451