Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2021 · 1 min read

सीधी लाईन का मातृ-दिवस

————————————————————–
मातृत्व जन्म देने से है जुड़ा?
या वात्सल्य के वरदान से गढ़ा?
वात्सल्य कर्तव्य है या करुणा से उपजी प्रतिक्रिया?
स्वाभाविक रक्षण की प्रेरणा,अनुवांशिक अभिक्रिया?
जैविक कोशिकाओं का गुण-धर्म?
या सभ्यता,संस्कृति का बचा-खुचा शर्म?
अनुत्तरित है विध्वंस के अंत तक रहेगा।
जब पूछोगे,ईशारा तुम्हारी ओर करेगा।
तुम्हें क्या पता! तुम प्रातक्रियावादी हो या पदचारी।
होती माँएँ ही है क्यों! शिशु की प्रथम प्रणाली।
देह के अंश से ईश्वर द्वारा है यह प्रायोजित लगाव।
या आत्म-सुख का हिलोरें मारता मानसिक विकार।
मातृ-दिवस के इस अवसर पर प्रश्न है एक स्वाभाविक।
माँओं के दायित्व पर प्रश्न,और माफ करने का मन आंशिक।
माँएँ तन तंदुरुस्त रखने डालती है एक फुल्का अतिरिक्त।
मन मनोहर रखने आदर्श की एक और घुट्टी पिला देती काश! स्वच्छ।
युद्ध को ललकारती हैं माँएँ।
दूध का कर्ज मांगती हैं माँएँ।
रणों में ह्त्या कर लौटे पुत्रों का तिलक करती हैं माँएँ।
बलात्कार कर मर्दानगी की घोषणा करते पुत्रों का बचाव करती है माँएँ।
भ्रष्टाचार कर अर्जित साम्राज्य की राजमाताएँ,गर्व से, होती हैं माँएँ।
ऐसा न कह दो कि संतान की फिक्र करती हैं माँएँ।
वात्सल्य और कर्तव्य का जिक्र करती हैं माँएँ।
मातृ-दिवस की परम्पराएँ हैं माँएँ।
लगाती थप्पड़ यदि खुद जन्म लेने उनमें,तब होती माँएँ।
गांधारी,कुंती,कैकसी,कैकयी और मुसोलिनी,हिटलर की माँएँ।
———————————————————————

Language: Hindi
466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
स्त्री श्रृंगार
स्त्री श्रृंगार
विजय कुमार अग्रवाल
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
Buddha Prakash
अब प्यार का मौसम न रहा
अब प्यार का मौसम न रहा
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल (गुलों से ले आना महक तुम चुरा कर
ग़ज़ल (गुलों से ले आना महक तुम चुरा कर
डॉक्टर रागिनी
👍संदेश👍
👍संदेश👍
*प्रणय प्रभात*
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
अपने आलोचकों को कभी भी नजरंदाज नहीं करें। वही तो है जो आपकी
Paras Nath Jha
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
शेखर सिंह
*अनुशासन के पर्याय अध्यापक श्री लाल सिंह जी : शत शत नमन*
*अनुशासन के पर्याय अध्यापक श्री लाल सिंह जी : शत शत नमन*
Ravi Prakash
"जीवन का निचोड़"
Dr. Kishan tandon kranti
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Manu Vashistha
3301.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3301.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा
द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-'प्यासा"
Vijay kumar Pandey
बुंदेली दोहा- अस्नान
बुंदेली दोहा- अस्नान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तन प्रसन्न - व्यायाम से
तन प्रसन्न - व्यायाम से
Sanjay ' शून्य'
ऐ सुनो
ऐ सुनो
Anand Kumar
परिवर्तन विकास बेशुमार🧭🛶🚀🚁
परिवर्तन विकास बेशुमार🧭🛶🚀🚁
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kumar lalit
लौ
लौ
Dr. Seema Varma
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
* जन्मभूमि का धाम *
* जन्मभूमि का धाम *
surenderpal vaidya
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
गुमनाम 'बाबा'
खुद को मसखरा बनाया जिसने,
खुद को मसखरा बनाया जिसने,
Satish Srijan
अपने होने का
अपने होने का
Dr fauzia Naseem shad
एक मां ने परिवार बनाया
एक मां ने परिवार बनाया
Harminder Kaur
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हमारा गुनाह सिर्फ यही है
हमारा गुनाह सिर्फ यही है
gurudeenverma198
Loading...