सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री , पुलकित नयन खुशी से अश्रु माता मन हीं मन आशीष वचन, सीता सजी स्वयंवर में देख राम मन हरषा गयों रे । ढूंढन लागे छवि मन में कौन दर्पण यह दिखा गए रे सखी। सुंदर पुष्प एक समान तेज सूर्य समान छवि अनोखी अप्रीतम दर्शाया गयों _ डॉ. सीमा कुमारी ,८-५-०२४ को स्वरचित कविता प्रकाशित किए ।