सीता स्तुति
—————–
सीता स्तुति
——————
जनक सुनयना की हे लाड़ो ,
शत शत तुम्हें प्रणाम है ।
जहाँ विराजें चरण तुम्हारे,
वहीं राम का धाम है ।।
–
हे वैदेही तुमने आकर,
भू का भार घटाया है ,
अपने भक्तों पर माँ तुमने,
अनुपम प्यार लुटाया है ,
दशकन्धर को मुक्त कर गया,
मात तुम्हारा नाम है ।
जहाँ………||1||
–
नाम तुम्हारा पवनपुत्र के
मन में मात समाया है ,
अजर अमर होने का तुमसे
हनुमत ने वर पाया है ,
मनमोहक छवि वरमुद्रा की,
माता अति अभिराम है ।
जहाँ……….||2||
–
भरत शत्रुघन लखनलाल नित,
तुमको मात मनाते हैं ,
देव यक्ष गंधर्व आपको ,
हर पल शीश नवाते हैं ,
लव-कुश की हे मात तुम्हारी,
लीला बड़ी ललाम है ।
जहाँ……..||3||
–
करो सदा संघर्ष नारियों,
को तुमने संदेश दिया ,
पतिव्रत धारण किया आपने,
कभी नहीं संदेह किया ,
‘ज्योति’ हृदय में हरपल गूँजे,
माता सीता राम है ।
जहाँ…………||4||
—
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***