हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
उपकार माईया का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जख्म भरता है इसी बहाने से
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त - शंका
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
कल मालूम हुआ हमें हमारी उम्र का,
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सब अपने दुख में दुखी, किसे सुनाएँ हाल।
दिखावा कि कुछ हुआ ही नहीं