Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Feb 2023 · 2 min read

#प्रेरक_प्रसंग-

#प्रेरक_प्रसंग-
■ “भय” भी अच्छा है।।
【प्रणय प्रभात】
मानवीय जीवन तमाम सारे भावों का समुच्चय है। इनमें अच्छे व बुरे दोनों तरह के भाव सम्मिलित हैं। इन्हीं में एक है “भय”, जिसे प्रायः बुरा माना जाता है। जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। भय की भी अपनी एक भूमिका है। जिसके लिए जीवन में एक मात्रा तक उसका होना आवश्यक है। जो इस बात को ग़लत मानें, उनके लिए यह छोटा सा प्रसंग पर्याप्त है। जो जीवन में थोड़े-बहुत डर की अनिवार्यता को रेखांकित करता है-
किसी शहर में एक बार एक प्रसिद्ध विद्वान् “ज्योतिषी का आगमन हुआ। माना जा रहा था कि उनकी वाणी में सरस्वती स्वयं विराजमान है। वे जो भी बताते हैं, सौ फ़ीसदी सच साबित होता है। इस बारे में जानकारी मिलने पर लाला जी भी अपना भाग्य व भविष्य जानने के लिए उक्त विद्वान के पास जा पहुँचे। निर्धारित 501 रुपए की दक्षिणा दे कर लाला जी ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए ज्योतिषी से पूछा –
“महाराज! मेरी मृत्यु कब, कहॉ और किन परिस्थितियों में होगी?”
ज्योतिषी ने लाला जी की हस्त रेखाऐं देखीं। चेहरे और माथे को कुछ देर अपलक निहारते रहे। इसके बाद वे स्लेट पर कुछ अंक लिख कर जोड़ते–घटाते रहे और फिर गंभीर स्वर में बोले –
“जजमान! आपकी भाग्य रेखाएँ कहती है कि जितनी आयु आपके पिता को प्राप्त होगी, उतनी ही आयु आप भी पाएँगे। वहीं जिन परिस्थितियों में जिस जगह उनकी मृत्यु होगी, उसी स्थान पर ओर उसी तरह आपकी भी मृत्यु होगी।”
यह सुनते ही लाला जी की धड़कनें बढ़ गईं। वे बुरी तरह भयभीत हो उठे। उनका चेहरा पीला पड़ गया और शरीर पसीना छोड़ने लगा। वो वहां से तत्काल उठ कर चल पड़े।
लगभग एक घण्टे बाद लाला जी वृद्धाश्रम से अपने वृद्ध पिता को रिक्शे में बैठा कर घर की ओर लौटते दिखाई दिए। तब लगा कि जीवन में भय की भी कुछ न कुछ अहमियत तो है ही। यह प्रायः हमें ग़लत मार्ग पर चलने व ग़लत कार्य करने से रोकता है। भय को एक तरह से जीवन शैली व आचार, विचार और व्यवहार का सशक्त नियंत्रक भी माना जा सकता है।
इस तरह समझा जा सकता है कि डर कतई बुरा नहीं। बशर्ते वो हमें बुरा करने से रोकता हो। फिर चाहे वो भय धार्मिक हो, सामाजिक हो, पारिवारिक हो या वैधानिक। भय का अभाव किसी इंसान को मात्र निर्भय ही नहीं उद्दंड, अपराधी व निरंकुश भी बनाता है। विशेष रूप से आज के युग में, जहां देश-काल और वातावरण में नकारात्मकता का प्रभाव सकारात्मकता से कई गुना अधिक है। जय सियाराम।।
👌👌👌👌👌👌👌👌👌

1 Like · 117 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
23/01.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/01.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
होंठ को छू लेता है सबसे पहले कुल्हड़
होंठ को छू लेता है सबसे पहले कुल्हड़
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Let your thoughts
Let your thoughts
Dhriti Mishra
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
gurudeenverma198
"बँटबारे का दंश"
Dr. Kishan tandon kranti
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
★जब वो रूठ कर हमसे कतराने लगे★
★जब वो रूठ कर हमसे कतराने लगे★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
Shankar N aanjna
मेरा जीने का तरीका
मेरा जीने का तरीका
पूर्वार्थ
सोच कर हमने
सोच कर हमने
Dr fauzia Naseem shad
हे अल्लाह मेरे परवरदिगार
हे अल्लाह मेरे परवरदिगार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बेवजह कदमों को चलाए है।
बेवजह कदमों को चलाए है।
Taj Mohammad
“WE HAVE TO DO SOMETHING”
“WE HAVE TO DO SOMETHING”
DrLakshman Jha Parimal
परोपकार का भाव
परोपकार का भाव
Buddha Prakash
अगर आपके पैकेट में पैसा हो तो दोस्ती और रिश्तेदारी ये दोनों
अगर आपके पैकेट में पैसा हो तो दोस्ती और रिश्तेदारी ये दोनों
Dr. Man Mohan Krishna
कुछ ही लोगों का जन्म दुनियां को संवारने के लिए होता है। अधिक
कुछ ही लोगों का जन्म दुनियां को संवारने के लिए होता है। अधिक
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
लगा चोट गहरा
लगा चोट गहरा
Basant Bhagawan Roy
खो गई जो किर्ति भारत की उसे वापस दिला दो।
खो गई जो किर्ति भारत की उसे वापस दिला दो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कालजई रचना
कालजई रचना
Shekhar Chandra Mitra
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
डी. के. निवातिया
टमाटर तुझे भेजा है कोरियर से, टमाटर नही मेरा दिल है…
टमाटर तुझे भेजा है कोरियर से, टमाटर नही मेरा दिल है…
Anand Kumar
*खाओ गरम कचौड़ियॉं, आओ यदि बृजघाट (कुंडलिया)*
*खाओ गरम कचौड़ियॉं, आओ यदि बृजघाट (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सरस्वती वंदना-1
सरस्वती वंदना-1
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
#तेवरी / #अफ़सरी
#तेवरी / #अफ़सरी
*Author प्रणय प्रभात*
बेशर्मी से रात भर,
बेशर्मी से रात भर,
sushil sarna
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ਸਤਾਇਆ ਹੈ ਲੋਕਾਂ ਨੇ
ਸਤਾਇਆ ਹੈ ਲੋਕਾਂ ਨੇ
Surinder blackpen
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
Loading...