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6 Jul 2021 · 1 min read

सीख जाओगे

मेरी गुस्ताखियों से तुम, अकड़ना सीख जाओगे।
अपनी गलतियों से फिर, तुम लड़ना सीख जाओगे।
कश्ती का भरोसा क्या कभी भी डूब सकती है,
तुम्हे फिर कौन रोकेगा ,जब तैरना सीख जाओगे।
मेरे आंखों में मन्जर है समाया, कितने वक्तों का।
नहीं मैं देख पाया हूँ चेहरा ,दुःख में फरिश्तों का।
मैं अनसुलझी पहेली सा, मगर तुम जान जाओगे ,
केे जिस दिन से तुम मुझको ,पढ़ना सीख जाओगे।
अपनी गलतियों से फिर, तुम लड़ना सीख जाओगे।
जिंदगी हरदम सिखाती है ,के हर पल सिखाता है।
हमारा आज ही हमको, बेहतर कल दिखाता है।
कामयाबी उस दिन आकर तुम्हारे पाँव चूमेगी ,
कि जिस दिन वक्त के हाथों ,सँवरना सीख जाओगे।
अपनी गलतियों से फिर, तुम लड़ना सीख जाओगे।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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