#सिला मोहब्बत का
सिला मिला है ये हमें वफ़ाई का
अदम तलक चर्चा है रुसवाई का
ज़ख्मे-दिल भरता नहीं दिया उसका
असर नहीं होता किसी दवाई का
वफ़ा लिए आँखें तरसती दीद को
यार मिला न ही पता परछाई का
वफ़ा लिए फिरें मंजनू राँझे से
ख़्याल नहीं है पर उसे तन्हाई का
रस्मों-रिवाज़ भूले चाहा उसको
उसको ग़म नहीं मेरी जुदाई का
वफ़ा सुने डरे वफ़ा से अब तेरी
सितम बड़ा है किया बेवफ़ाई का
हसरतें ख़ाक झूले अरमां सूली
ग़ाफिल दावा नहीं पारसाई का
लगे प्यार व्यापार हमें अब ‘प्रीतम’
नज़र न आए कोना सच्चाई का
#आर.एस. ‘प्रीतम’