“सिलसिला”
“सिलसिला”
खाक हो चुकी रस्सी कब की,
पर अब भी गठान खुला नहीं है।
वो बेवफाओं की बस्ती है यारों,
वहाँ इश्क का सिलसिला नहीं है।
“सिलसिला”
खाक हो चुकी रस्सी कब की,
पर अब भी गठान खुला नहीं है।
वो बेवफाओं की बस्ती है यारों,
वहाँ इश्क का सिलसिला नहीं है।