सिर्फ और सिर्फ हम दोनों पर कविता
कितनी बार चाहा कि लिखूँ
सिर्फ और सिर्फ
हम दोनों पर ही कविता
और खो जाएँ हम
एक दूसरे के अन्तःकरण में
इस तरह
फिर देख न पाये दुनिया
बस पढ़ ले कविता की पंक्तियाँ
हमारे चेहरे से झलकते प्यार में
✒लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल