गीता ज्ञान
नित प्रेम का संचार हो
सबके हृदय में प्यार हो
छल–बल सभी का व्यर्थ है
बस प्रार्थना उत्कर्ष है
तुम क्रोध से क्यूं जल रहे
मन के भंवर में फंस रहे
बस कर्म कर और ध्यान कर
सब त्रान त्रास को त्याग दे
संशय को मन से निकाल दे
अति से बचो और मुक्त हो
उपदेश ये गीता का है
बस कर्म ही तो प्रधान है
जिस धर्म का तुम्हें ज्ञान है
कर्त्तव्य पथ पर बढ़ चलो
निर्भय रहो तुम मृत्यु से
इच्छाओ से विचलित न हो
श्री कृष्ण तेरे साथ है
फिर प्रीत की ही जीत है
उपदेश ये गीता का है।