सिय स्वयंबर और भगवान परशुराम का सर्वस्व दान
भगवान परशुराम का सर्वस्व दान–
भगवान परशुराम जी परब्रह्म विष्णु के छठे अवतार थे जो शिव भक्त एव
त्यागी तपस्वी थे वे श्रेष्ठ गुरुओं में एक थे उनके शिष्य भीष्म द्रोण एव कर्ण ब्रह्मांड में सर्वश्रेष्ठ थे प्रस्तुत रचना प्रधुराम जी से सम्बंधित है जब विदेह प्रतिज्ञा के अनुसार भगवान राम ने भगवान शिव का धनुष खंडित किया और उसके खंडित होने की आवाज जब भगवान परशुराम जी ने सुनी तब क्रोधित होकर वह स्वयम्बर में गए और वहाँ लक्ष्मण से कटु संवाद एव राम को विष्णु रूप में पहचानकर अपना सारंग धनुष,तप पूण्य के साथ साथ युग अवतार कि प्रतिष्ठा सब कुछ दान कर दिया गोस्वामी जी के मानस के इसी प्रसंग पर लिखी गयी पैरोडी रचना–
सीय स्वयंवर और परशुराम
सीय स्वयंवर न जाओ
परशु पईया पड़ी
सीय स्वयंवर ना जाओ
परशु पईया पड़ी
सीय स्वयंवर ना जाओ
परशु पईया पड़ी।।
सीय स्वयंवर जो जाओ
परशु जइबे करो
जइबे करो
हां जइबे करो।।
ऋषि दिव्य बन जावो
परशु पईआ पड़ी
ऋषि दिव्य बन जाओ
परशु पईया पड़ी
ऋषि दिव्य बन जाओ
परशु पईया पड़ी।।
सीय स्वयंवर ना जाओ
सीय स्वयंबर ना जाओ
परशु पईया पड़ी
सीय स्वयंवर
ना जाओ
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी।।
सीय स्वयंवर
जो जाओ
तो जइबे करो
तो जइबे करो
हां जइबे करो।।
दिव्य ऋषि बन जाओ
तो जईबे करो
तो जईबे करो
हां जईबे करो।।
सीय स्वयंवर
जो जाओ
तो जाईबे करो
परशु जईबे करो
हां जईबे करो।।
विदेह बन जाओ
परशु पईया पड़ी
विदेह बन जाओ
परशु पईया पड़ी।।
बन विदेह
जाओ जो जाओ
तो जईबे करो
जईबे करो
हां जईबे करो।।
क्रोधाग्नि ना जलाओ
परशु पईया पड़ी
क्रोधाग्नि ना जलाओ
परशु पईया पड़ी
हां पईया पड़ी।।
क्रोधाग्नि जो जगाव तो
जगाईबे करो परशु
जगईबे करो
हां जगईबे करो।।
आशीष जानकी
द्वि भाई दिए
जाओ परशु
पईया पड़ी
आशीष जानकी द्वि भाई
दिए जाओ पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी।।
सीय स्वयंवर ना जाओ
परशु पईया पड़ी
सीय स्वयंवर ना जाओ
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी।।
लाल लखन ना
उलझाव
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी।।
लाल लखन जो
उलझाव तो
उलझईबे करो
उलझईबे करो
उलझईबे करो
सारंग राम ना
सौंप जाओ
परशु पईया पड़ी
परशु पईआ पड़ी
परशु पईया पड़ी
सारंग राम जो
सौंप जाव
सौंवबे करो
तो सौंवबे करो
सौंवपे करो
हां सौंवाबे करो
तप पुण्य न गंवाओ
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी
सीय स्वयंवर न जाओ
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी।।
सीय स्वयंवर जो जाओ
तो जइबे करो
तो जइबे करो
हां जइबे करो।।
गिरी महेंद्र ना जाओ
परशु पईया पड़ी
गिरी महेंद्र न जाओ
परशु पईया पड़ी
परशु पईया पड़ी।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।