सियाराम
हम द्वार खड़े कबसे, हे नाथ चले आओ।
ले मातु सिया को भी, अब साथ चले आओ।
करते हैं भजन निशि दिन,विनती ये सुनो सबकी-
कोदंड उठाकर अब, ले हाथ चले आओ।
हम द्वार खड़े कबसे, हे नाथ चले आओ।
ले मातु सिया को भी, अब साथ चले आओ।
करते हैं भजन निशि दिन,विनती ये सुनो सबकी-
कोदंड उठाकर अब, ले हाथ चले आओ।