“” *सिमरन* “”
“” सिमरन “”
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( 1 )” सि “,सियाराम जपें तो मिलें प्रभु
बस राम नाम ही है एक सहारा !
मिलते श्रीहरि हैं यहां उनको…..,
जिन्होंने परमेश्वर को हृदय में बसाया !!
( 2 )” म “,मन ही मन जो भजे राम को
वही पहुंचे सीधे श्री प्रभुधाम !
राम नाम को भजले ऐ दिल प्यारे..,
यहाँ बनते चलेंगे तेरे सारे काम !!
( 3 )” र “,रग-रग में बसते हैं श्रीराम
देखलें खोलकर मन के कपाट !
प्राणों में बसते हैं मेरे प्रभु राम…..,
श्वासों से चलें जपते दिन और रात !!
( 4 )” न “,नयनों से चले बहती अश्रुधारा
जब श्रीप्रभु नाम की महिमा गावै !
श्री राम हैं बड़े ही कृपालु-दयालु ….,
मन हर्षत आवै और दिल को भावै !!
( 5 )” सिमरन“,सिमरन है सब तालों की चाबी
ये चले खोलते बंद जीवन के सारे द्वार !
राम नाम संकीर्तन मिलके यदि हम करें..,
तो, होए चले यहां पे कल्याण और उद्धार !!
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सुनीलानंद
रविवार,
12 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |