सिखाया जिन परिंदों को उड़ना
बच्चे भी हक़ अब जताने लगे हैं
आँखों से आँखे , मिलाने लगे हैं
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तुतलाते थे जो चंद रोज पहले
जबां से जबां अब लड़ाने लगे हैं
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चाहते हैं पाना इक रोज में वो
पाने में जिसको ,जमाने लगे हैं
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निकले हैं पँख परिंदों के शायद
परवाज ऊँची ,दिखाने लगे हैं
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सिखाया जिन परिंदों को उड़ना
घोसलों से वही अब जाने लगे हैं
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कपिल कुमार
03/11/2016