सिकंदर भी मरता है।
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सिकंदर भी मरता है।
मरेंगे सिकंदर जैसे लोग भी।
मृत्यु सर्वदा सबके लिए जीवित है
लोग करें उसके होने का
चाहे जितना शोक ही।
प्रपंचित है इतिहास।
अचंभित;
रोये या करे अट्टहास ।
एकात्मवाद राष्ट्र का सर्वोपरि सोच है।
अनेकात्मवाद को इसमें करना समाहित
सुंदर सुयोग है।
भग्न होने से यह,आ जाता कोई सिकंदर है।
और रोती प्रजाएँ ही नहीं आसमान और
समुंदर हैं।
टुकड़ों में गौरव, राष्ट्र के गौरव का है हनन।
विभिन्नता में ऐक्य का भाव
तुम्हारा और हमारा है गर्वोन्न्त आनन।
मरता हर सिकंदर भी है।
क्रोध और क्षोभ से हम ही नहीं
लाल होता स्वर्ग में पुरंदर भी है।
हत्याओं से राष्ट्र की हत्या करने का गुमान
पालने वाला सिकंदर।
षड्यंत्र कर कैद किए गए सम्राट और योद्धाओं
और हत्याओं के भय से अविचलित प्रजाजनों
के कह देने से निर्भीक यह कि
हमारे साथ योद्धाओं की तरह करो व्यवहार
कि वीर गति को प्राप्त हुए भी हम पराजित नहीं होते
समर की शृंखला से हट जाते हैं बस
हे,यवन सिकंदर!
महान सम्राट और विश्व विजयी कहे जाने की लालसा पाले
वह हो गया प्रस्तरवत व पराजित।
हत्याओं ने जिसने अहंकार दिया और अजेय होने का भ्रम
अप्रतिम जीवन को शाश्वत रखने की जिद पर अड़ा
वह सिकंदर असमय वय-हीन होकर मरा।
हो गया शापित।
मरता सिकंदर भी है।
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