सिंहस्थ की यादें
।।सिंहस्थ की यादें।।।।
बुलावा आया है ,
मन को बहुत भाया है,
कैसा बुलावा आया ?
हम सबको जिम्मेदारी निभाना है,
खाद्य सुरक्षा का परचम लहराना है,
उज्जैन में होने वाला कुम्भ है,
12 वर्षो में एक बार आता कुंभ है,
देश और विदेश के कोने कोने से आये जन,
बड़ी धूम मची उज्जैन में आया शुभ दिन,
तैयार हुआ हमारा हर एक अमला,
सड़ी गली दूषित खाद्य सामग्री पर किया हमला,
ऋषि नगर से सुबह सुबह हम निकलते,
घूम घूम कर स्वछता का संदेश देते,
थोड़ा विश्राम कर फिर जाते लेने ज्ञान,
पेशेवाई का जुलूस देखो हो रहा मंगल गान,
शाही स्नान पर क्षिप्रा में डुबकी लगाते,
आस्था और विश्वास से सब जयकारे लगाते,
कैसे कैसे विचित्र हमने साधु देखे,
पंडालों में राम कथा सुनी फिर भोज चखे,
महाकाल की नगरी में था हर्ष और उल्लास,
गए मंगल नाथ यहाँ है मंगल का वास,
दर्शन करने गए हम सांदीपनि आश्रम ,
श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली देखी किया विश्राम,
भृतहरि की गुफा देखी, हमने देखा काल भैरव,
माँ हरसिद्धि का आशीष मिला देखा भोज का वैभव,
खुले में न रखे खाद्य पदार्थ दिया संदेश,
सबको थैले और जाली किये पेश,
सब साथियों ने मिलकर खूब कर्तव्य निभाया,
सिंहस्थ 2016 सबके मन को खूब भाया,
यह सिंहस्थ रहेगा सदा याद,
मिला जो महाकाल का प्रसाद,
देश विदेश के साधु और संत,
धर्म ज्ञान के मिले विविध पंथ,
सबको मिले कैसे शुद्ध आहार,
यही था मन मे एक विचार,
बनी रही क्षिप्रा मैया की कृपा ,
जय महाकाल सबने यही जपा,
मिलजुल कर साथ रहे यही एक मंतर,
घूम लिए हम तो जंतर मंतर,
।।।।जेपीएल।।।