सिंपल सी
सिंपल सी
हां, बहुत सिंपल सी लड़की हूं
खुल कर जीने में बिलीव करती हूं
दिल में छुपा के कुछ नहीं रखती हुं
जो है, वो बोलने से नहीं डरती हूं
लोगों को शायद कम समझ पाती हूं
क्योंकि अपने में ही उलझी रहती हूं
खाती हूं अक्सर रिश्तों में धोखा
क्योंकि किसी पे शक नहीं करती हूं
हां जीने का सलीका तो नहीं आता
बेबजह तारीफ़ करना भी नहीं भाता
मुस्कुराती हूं सबके ही संग मैं
पर दोस्त गिनती के ही रखती हूं
लोग मेरे अल्हड़पन पर मुस्काते है
मुझे सीरियस नहीं ले पाते है
यहीं अदा तो मुझे ख़ास बनाती है
जिंदगी तभी तो मेरी मुस्कुराती है
हां, सीधी और सच्ची ही रहती हूं
दुनिया की रेस से दूर खड़ी दिखती हूं
नहीं किसी से कोई भी शिकायत
बस खुद से ही मतलब रखती हूं
जिंदगी को चुटकी सा समझती हूं
हर मुश्किल को हल कर लेती हूं
हां, हूं इतनी ज्यादा सिंपल में
जिंदगी को सिंपल कर देती हूं
दीपाली अमित कालरा