साज़
तुम साज़ बजाओ तो कुछ गा लूँ मैं
नगमा प्यार का एक आध गा लूँ मैं
ये सुर ये ताल ये लय अधूरे हैं अकेले
ये तीनो मिल जाएं तो कुछ गा लूँ मैं
मेरे गीतों को तुम जिंदगानी दे दो
अधरों से छूकर अपनी वाणी दे दो
जो बन्द हो चुके हैं डायरी के पन्नो में
उनको फिर से एक नई रवानी दे दो
वीर कुमार जैन
30 जुलाई 2021