साहित्य सृजन …..
सृजन ही साहित्य का श्रृंगार है ।
वैचारिक उत्कृष्टता का आधार है॥
उगते खामोशी की गहराईयों में
व्यक्त होते भावना के तल पर,
ह्रदय के आहत उच्छवासों में
अंकित होते कोरे कागज पर,
अक्षरों से अक्षरों का सम्मिलन
अर्थ देती शब्दों का भण्डार है।
वैचारिक उत्कृष्टता का आधार है॥
मन के कोमलतम भावों ने,
शब्दों के सागर को रुप दिया,
रस, छंद, स्वर, उपमाओं से
सृजन को नव पहचान दिया,
मानव मन के तड़पन में
विचारों की नवीनतम पतवार है।
वैचारिक उत्कृष्टता का आधार है॥
पंखुड़ियों पर पड़े हिमबिंदु
जब सीपज सा चमकते है,
करुणा से भरे हृदय में
चेतना का करते संचार है,
टुटते हुए सुनहरे स्वपनों का
सृजन ही आहत मन का सोपान है।
वैचारिक उत्कृष्टता का आधार है॥
निष्प्राण होती मानवता के
अनमोल पलों को समेट लो,
उजियारों के मोहक कानन से
जीवन के संदेश समेट लो,
आकुल हिय की पुकार में
सृष्टि का सृजन ही अलंकार है।
वैचारिक उत्कृष्टता का आधार है॥
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