साहित्य समाज का दर्पण है!
समाज का दर्पण हो जाएगा साहित्य, अगर ईमानदारी से लिखा जाए तो! जैसे दलित साहित्य कई मायनों में साहित्य का दर्पण साबित होता है।
कथित मुख्यधारा के साहित्य का चेहरा थोड़ा बहुत अच्छा इसलिए दिख जाता है कि बुरे लोग भी अच्छा-अच्छा सा लिख मारते हैं!😊